अश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि- स्वर्गीय श्रीमान पुरुषोत्तम श्रीवास्तव एक पडोसी, हित-चिंतक-ओर मित्र ।
जो- 21 .9. 2019 को 94 वर्ष की आयु में नहीं रहे।
दुआओं से झोली को, अपनी तू भर ले ||
जो- 21 .9. 2019 को 94 वर्ष की आयु में नहीं रहे।
भाग ( 1 )
दुआओं को ले ले, दुआओं को ले ले |
दुआओं से झोली को, अपनी तू भर ले ||
ऐ कंगाल झोली को,अपनी तू भर ले |||
धन और दौलत नहीं काम आए |
ये तन भी ,एक दिन तो ,यहीं छूट जाए ||
संग ,नेकियां और बदीयां चलेंगी ,
यह चित्र पुराना है जब सौ.प्रेरणा कनाडा से गुना आई थीं ,और इंदौर जा रहीं थीं ,हम भी जब जा रहे थे ,तब विदा करते हुए । श्रीमान पुरुषोत्तम जी श्रीवास्तव, एवम श्रीमती चन्द्र कांता श्रीवास्तव |
ये सभी जायदादें यहीं छूट जाएँ |
ये मालो, ख़जाने ,यहीं पै लुट ये जाएँ ||
मगर ये दुआएं, कभी लुट ना सकेंगी
जितनी लुटेंगीं, ये उतनी बढ़ेंगी ||
ख़ुद को अमीरी से ,पामाल कर लें |
उन्ही की प्यारे ,तू संभाल कर ले ||
ख़ुद की ख़ुशी को ही ,क्यों देखता है |
अपनी ही ऊंची, तू क्यों फेंकता है ||
ये शिक़स्ता इमारत ,तेरी ,गिरने को आई |
ये टेके ,इस इमारत में ,तू क्यों ?टेकता है |||
ये ख़स्ता हाल को, पुख़्ता हाल कर ले |
उन्हीं की प्यारे ,तू संभाल कर ले ||
श्री पुरुषोत्तम श्रीवास्तव सा, ख़ुद को बना ले |
गुण गान उनके ,तू सब को, सूना ले ||
नहीं कोई ,औलाद, जिनने थी पाई |
ये दुनिया को, उनने थी, अपनी बनाई ||
सभी की ,मदद की, बेहद की, ना, हद की,
ऐंसा बन, इस नायाब ,हीरे की ,तू ,देख भाल कर ले |
उसी की प्यारे तू देख भाल कर ले ||
हर एक बंदा ,जिन पै, दिल से ,फ़िदा था |
सभी ,आपसी थे, ना कोई ज़ुदा था ||
जो नेकिओं ,और ख़ुबिओं ,से लदा था |
चमक ,चन्द्र कान्ता ने , जिनसे थी पाई |
अच्छे बुरे में वही काम आई |
ऐंसे नेक दिल थे ,श्री पुरुषोत्तम भाई ||
दूर ,सोचने के ये ,मकड़ जाल कर ले |
नहीं वास्ते ,ख़ुद के, कोई घर बनाया |
ये पैसा सदा ,ग़ैर के काम आया |।
तभी तो ,उम्र 94 बरस ,उनने पाई |।।
कभी ज़िन्दगी ,ना फ़िसलन भरी थी,
कभी राह में, नहीं आई , काई ||।।
ऐंसे ,नेक दिल थे ,स्वर्गीय पुरुषोत्तम भाई ||
चमक चन्द्र कांता ने जिनसे थी पाई ।
ऐंसे थे प्यारे हमारे पुरुषोत्तम भाई ।।
पुरुषों में उत्तम थे पुरुषोत्तम भाई ।।।
भाग ( 2 )
माताजी उनकी जब थीं नर्स दाई। ख़ुश होतीं जच्चा खाने से आईं ।।
लड़का हुआ है डॉक्टर साहब के पैदा। हमारे घर पर था परिवार शैदा ।।
ड्यूटी से आए थे श्री पुरुषोत्तम भाई। सुनी ख़ुश ख़बर उनने उन्हें बहुत भाई ।।
अन्दर दुनाली बन्दूक टँगी थी। उठाई 2 गोली उसमें भरीं थीं।
मारे ख़ुशी के किए दो थे फायर। अपनी ख़ुशी इस तरह की थी ज़ाहिर।।
पुलिस की वर्दी भी पहिनी हुई थी। अपनी ख़ुशी इस तरह से कही थी ।।
अच्छे, बुरे में सब के काम आना। इस तरह नेक दिल उनको सबने था जाना ।।
कभी किसी की ना, की थी, बुराई । ऐंसे नेक दिल थे पुरुषोत्तम भाई ।।
तभी तो दिलों से सभी चाहते हैं। सभी उनको , जन्नत, की दुआ मांगते हैं ।।
चमक चन्द्र कांता ने जिनसे थी पाई । पुरुषों में उत्तम थे पुरुषोत्तम भाई ।।
.ओम शान्ति
...डॉ. ओ.पी .व्यास नई सड़क गुना म.प्र. मोबाइल नम्बर 9425766913
ओम शांति
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