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हें राजनीति क्या तुम वारांगना [वेश्या ]|
कभी कोई श्रंगार ,कभी कोई पहना कंगना ||
कभी बोलतीं सत्य , कभी तुम झूठ ही बोलो |
कभी अत्यंत कठोर , धार तलवार सी डोलो ||
कभी अत्यंत मृदुल , कोमल करुणामयी हो लो |
ज्यों झर रहे हों पुष्प वाणी से ,मुख जब खोलो ||
कहीं घातक अत्यंत, कहीं हो बड़ी कृपालू |
कहीं कृपण कंजूस ,कहीं तुम बड़ी दयालू ||
करती हो धन, कहीं कहीं तो बहुत प्रचुर व्यय |
और कहीं ,करने लग जातीं धन तुम संचय ||
यह राज नीति वेश्या जैंसी धरती कितने रूप |
कहें "भर्तृहरि "नीति पर चलना सीखो भूप ||
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हें राजनीति क्या तुम वारांगना [वेश्या ]|
कभी कोई श्रंगार ,कभी कोई पहना कंगना ||
कभी बोलतीं सत्य , कभी तुम झूठ ही बोलो |
कभी अत्यंत कठोर , धार तलवार सी डोलो ||
कभी अत्यंत मृदुल , कोमल करुणामयी हो लो |
ज्यों झर रहे हों पुष्प वाणी से ,मुख जब खोलो ||
कहीं घातक अत्यंत, कहीं हो बड़ी कृपालू |
कहीं कृपण कंजूस ,कहीं तुम बड़ी दयालू ||
करती हो धन, कहीं कहीं तो बहुत प्रचुर व्यय |
और कहीं ,करने लग जातीं धन तुम संचय ||
यह राज नीति वेश्या जैंसी धरती कितने रूप |
कहें "भर्तृहरि "नीति पर चलना सीखो भूप ||
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