परम पिता परमात्मा शिव बाबा के ३२ गुण ...
[नोट ...यह ब्रह्मा कुमारी आश्रम ज्ञान मुरली पर आधारित अति सुंदर चिन्तन परक रचना है ].
[नोट ...यह ब्रह्मा कुमारी आश्रम ज्ञान मुरली पर आधारित अति सुंदर चिन्तन परक रचना है ].
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गुणों के भण्डार शिव बाबा , दिव्य द्रष्टि विधाता हैं |
विन्दु और ज्योति के जैंसा , रूप मानस में आता है ||
हम सब बच्चे हैं उनके , उन्हीं से सब ये नाता है ||
हिलोरें ले रहा जहां पर , बड़े आनन्द सागर हैं |
न्यारे सुख , दुखों से , शान्ति दाता उजागर हैं ||
प्रदाता दिव्य बुद्धि के, पतित पावन नाते हैं |
दाता हैं वे सद्गति के , सभी को सुख वे लाते हैं ||
श्री नारायण बनाते नर , पत्थर बुद्धि को पारस ,
ज्ञान अमृत के सागर हैं, करें सच्चिदानन्द के वारिस ||
वे निराकार, शिव बाबा, विष्णु उनकी ही आज्ञा से |
दैवीय स्रष्टि का पालन करते अपनी प्रज्ञा से ||
कहें उन्हें शान्ति का सागर, रचयिता वे त्रि मूर्ति के,
पिता , शिक्षक ,परम सद्गुरु , न्यारे जन्म , मृत्यु , बंधन से|
उन्हीं की आती है आवाज़ ,दिल के हर स्पन्दन से ||
वे सागर प्रेम के शिव हैं , वे ही अकाल मूरत हैं|
मुक्ति सम्पूर्ण के दाता , सुख कर्ता की सूरत हैं ||
दुखों का हरण वे करते , बीज तरु मानव स्रष्टि के |
वे देते हैं हमें दर्शन , प्रति दिन योग द्रष्टि से ||
कर्मों की गति को वे जानें, उन्हीं की इच्छा से ब्रह्मा |
सतयुगी स्रष्टि स्थापन, का ले लेते सभी जिम्मा ||
ब्रह्म लोक है शिव का ,वहीं के ही वे वासी हैं |
आसुरी स्रष्टि करने नष्ट शंकर आते काशी से ||
इन्हीं 32 गुण का तो हमें वरसा दिलाते हैं |
इन्हीं को प्राप्त करने हम , योग की क्लास आते हैं ||
यहाँ पर जो भी आता है ,वही सुख शान्ति पाता है |
हर एक शिव बाबा का बच्चा, हर एक गुण शिव के गाता है ||
गुणों के भण्डार शिव बाबा ,दिव्य द्रष्टि विधाता हैं |
विन्दु और ज्योति के जैंसा रूप मानस में आता है ||
परम पिता शिव हैं परमात्मा , वो गीता ज्ञान दाता हैं |
जो गुण 32 धारे हैं ,उसे ,विकर्माजीत बनाता है ||
बड़े प्रेम से बच्चो ओम शान्ति बोलो |
वो ही तो लोगे आज जो बो लो ||
ओम शांति
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