पृष्ठ

4 सित॰ 2014

गुरु चेला ...हास्य व्यंग्य ...डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र.

[डॉ. ओ.पी.व्यास गुना म.प्र. ]
गुरु चेला ..हास्य व्यंग्य



गुरु द्रोण भये, गुरु सांदीपन, गुरुओं के नाम भये कैंसे ?

चेले भी कृष्ण सुदामा से, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन से॥  


अब आज नहीं गुरु उन जैसे , तो चेले भी नहीं हैं उन जैसे। 

गुरु आज कहें, रुपया, रुपया, तो चेले भी कहें पैसे, पैसे॥ 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद