पृष्ठ

5 सित॰ 2014

घड़ी कौन वह शुभ आयेगी- जब हिंदी पूजी जायेगी कविता


हिंदी कविता -   घडी कोंन वह शुभ आएगी- जब हिंदी पूजी जाएगी 

घडी कोंन वह शुभ आएगी,   जब हिंदी पूजी जाएगी। 

जिसका उद्गम संस्कृत भाषा,   भारत के जन जन की आशा। 

सुंदर स्वर और व्यंजन वाली,  पूर्ण करे भाषा परिभाषा । 
आज नहीं तो कल दिन होगा,  जब सर्वोत्तम पद पायेगी।  

घडी कोंन वह शुभ आएगी,  जब हिंदी पूजी जाएगी। 

जैसा लिखते वैसा पढ़ते,  सुन्दर मोती अक्षर गढ़ते। 

वीणा वादिनी की माला में, हीरे मोती जैसे जड़ते। 

आज नहीं तो कल दिन होगा ,  जब ध्वजा कीर्ति की फहराएगी। 

घडी कोंन वह शुभ आएगी, जब हिंदी पूजी जाएगी। 

तुलसी, सूर , कबीरा मीरा , मानक ,मोती,नीलम ,हीरा, 

कोई नहीं बराबर इसके. गहरी,पैनी ,धीर ,गम्भीरा। 

एक दिवस निश्चित आएगा, कीर्ति जब जग में छाएगी । 

घडी कोंन वह शुभ आएगी, जब हिंदी पूजी जाएगी। 

डॉ. ओ पी  व्यास  नई सड़कगुना म.प्र भारत 
 (ब्राम्पटन ओंटारियो कनाडा प्रवास के समय लिखी रचना)  दिनांक ११/५/२०११//
[-यह रचना रेलवे युनियन भोपाल की हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुई है। ]*

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद