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2 अक्तू॰ 2019

देश भले जाए पानी में तुमको क्या है नेताजी -.डॉ.ओ.पी.व्यास .

देश भले जाए पानी में, तुमको क्या ? है नेताजी - 
एक शिक्षा प्रद रचना 

[डॉ.ओ.पी.व्यास नई सड़क गुना म.प्र.]

देश भले जाए पानी में, तुमको क्या? है नेताजी |
 तुम तो बांधों के उद्घाटन, शिलान्यास करते जाओ|
ठेकेदारों और अफ़सरों की जेबों को भरते जाओ || 

[ बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय् |
काम बिगाड़े आपनो जग में होत हंसाई||]
कुए बावड़ी तालाबों, झीलों, नदिओं में बने मकान हैं |
जगह जगह सीमेंट की सड़कें धरती प्यासी  हलकान है ||
मौसम बदल गया ,अब सारा ,सर्दी  आना भूल गई l
सड़कों के गढ्ढे हुए गायब  ,जाने कहां ? पै धूल गई ||
फिर से सोचें और विचारें ,पुराने दिन फिर याद करें |
क्या? कांक्रीट की सड़कें खोदें ,शहरों को बर्बाद करें ||
पर्यावरण बिगड़ गया सारा, अब ग्लोबल वार्मिंग नारा है |
बड़, पीपल के वृक्ष कहां गये  ?कट गया  जंगल सारा है ||
गाय बैल फ़ुर्सत में बैठे बैल गाडी, हल गायब हैं |
 टैक्टर, कार, स्कूटर आ गए सभी कलेक्टर ,नायब हैं ||
पेटों पर चर्बी है चढ़ गई ,पैदल चलना भूल गए |
सौ की उम्र कहीं ?जा छिप गई, कम उम्र में झूल गए||
बहुत तरक़्क़ी ली हमने, अब जी कर हमें करना क्या ?
    इसीलिए शायद सभी सोच रहे ,जल्दी  से हमें मरना  क्या?
क्या ?  एटम  से लड़ें लड़ाई ,कांक्रीट के घर नष्ट करें |
क्या ?मरने से अब नहीं डरें ,सबको ही अब भ्रष्ट करें ||
वाह वाह क्या? सोच हमारी कैंसा ? कलयुग आज है |
क्या  ?प्रलय काल, समीप आ गया, संगम का सजा साज है || 
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद