रोग से बचाव- आयुर्वेद अनुसार
संचय में ही किया जाय, यदि दोषों का हरण |
कर ना सके फिर कभी भी, कोई रोग संक्रमण ||
यदि सुख में ही किया जाय, राम नाम सुमिरन (स्मरण) ।
ना दुःख कोई होय फिर, ना हो जन्म ,मरण ||
[.आयुर्वेद का प्रसिद्ध सूत्र संस्कृत में ..संचये अपह्रता दोषा , लभन्ते नोत्तरा गति ... .प्रसिद्ध दोहा ..".दुःख में सुमिरन सब करें ,सुख में करे ना कोय । जो सुख में सुमिरन करे ,दुःख काहे को होय ।।" के भाव अनुसार]