[ 399 ] ..श्लोक क्र.[ 83 ] ..कुम्भ कार खल चतुर विधाता , प्रिय सख सुनिए उसकी बात | दण्ड विपत्ति रुपी ले , कर , चिंता चक्र घुमाता तात || भर्तृहरि वैराग्य शतक , हिंदी काव्य भावानुवाद ..,डॉ.ओ.पी.व्यास
कुम्भ कार , खल चतुर विधाता ,प्रिय सख सुनिए उसकी बात | दण्ड विपत्ति ले , कर , चिन्ता चक्र घुमाता तात ||मन , मृतिका को पिण्ड की भांति ,चला चला कर बारम्बार | समझ नहीं पाते हम विधि को , कौन वस्तु करता तैयार || श्लोक क्र [ 83 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक , हिंदी काव्य भावानुवाद ,डॉ.ओ.पी.व्यास
........................................................................................................................................................................
कुम्भ कार , खल चतुर विधाता ,प्रिय सख सुनिए उसकी बात | दण्ड विपत्ति ले , कर , चिन्ता चक्र घुमाता तात ||मन , मृतिका को पिण्ड की भांति ,चला चला कर बारम्बार | समझ नहीं पाते हम विधि को , कौन वस्तु करता तैयार || श्लोक क्र [ 83 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक , हिंदी काव्य भावानुवाद ,डॉ.ओ.पी.व्यास
........................................................................................................................................................................