[ 3 98 ] .सच्चा स्वामी कौन ?
.श्लोक क्र . [ 82 ]..
जिनके द्वार पाल , भिक्षुक से , कहते स्वामी सोते हैं |
समय नहीं है यह मिलने का , यदि जागें क्रोधित होते हैं ||.
.डॉ.ओ.पी व्यास
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
जिनके द्वार पाल भिक्षुक से , कहते स्वामी सोते हैं |
समय नहीं है यह मिलने का , यदि जागें क्रोधित होते हैं ||
मदोन्मत्त ऐंसे स्वामी में , लगा रहे रहे हैं हम क्यों मन |
शरण ईश्वर की ना जाकर , नष्ट करें अपना जीवन ||
जहां ना कोई रोके , टोके , कहे ना कोई कठोर वचन |
सुख असीम वे देव ही देते , रे मन , कर , उनका चिन्तन ||
श्लोक क्र. [ 82 ] .
.भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
..................................श्रीमान शिव प्रसाद जी वशिष्ठ बहनोई जी साहब , श्रीमती उमा शशि वशिष्ठ बहिन जी ].............................................................................................................................................
.श्लोक क्र . [ 82 ]..
जिनके द्वार पाल , भिक्षुक से , कहते स्वामी सोते हैं |
समय नहीं है यह मिलने का , यदि जागें क्रोधित होते हैं ||.
.डॉ.ओ.पी व्यास
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
जिनके द्वार पाल भिक्षुक से , कहते स्वामी सोते हैं |
समय नहीं है यह मिलने का , यदि जागें क्रोधित होते हैं ||
मदोन्मत्त ऐंसे स्वामी में , लगा रहे रहे हैं हम क्यों मन |
शरण ईश्वर की ना जाकर , नष्ट करें अपना जीवन ||
जहां ना कोई रोके , टोके , कहे ना कोई कठोर वचन |
सुख असीम वे देव ही देते , रे मन , कर , उनका चिन्तन ||
श्लोक क्र. [ 82 ] .
.भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
..................................श्रीमान शिव प्रसाद जी वशिष्ठ बहनोई जी साहब , श्रीमती उमा शशि वशिष्ठ बहिन जी ].............................................................................................................................................