[ 395 ] ..
श्लोक क्र. [ 79 ]
..गुरु का बतलाया मार्ग ..
हे मदनान्तक | भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा ||
हें भोले शंकर , चरणों में , तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||..
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद ..,
डॉ.ओ.पी.व्यास
गुरु का बतलाया मार्ग ..
हें मदनान्तक | भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा |
हे भोले शंकर | चरणों में , तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||
स्नान ध्यान कर गंगा में , फल पुष्प पवित्र चढ़ाता हूँ |
कन्दरा में बैठ पूजन करता , आप में ही लीन हो जाता हूँ ||
आप ही हो प्रभु बस ध्यान योग्य , अब नहीं किसी को ध्याता हूँ |
फलाहार से जीवन यापन कर , सुख शान्ति असीम मैं पाता हूँ ||
हें विभो | गुरु के बतलाये , ध्यान मार्ग पर निशि दिन चल कर के ,
रत चरण आपके रह कर के ,भव सिंधु पार पा पाऊँगा |
हें मदनान्तक |भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा |
हें भोले शंकर | चरणों में ,तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||
श्लोक क्र. [ 79 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद,
डॉ.ओ.पी.व्यास
11 .3 . 1997 सोमवार
डॉ.ओ.पी.व्यास
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श्लोक क्र. [ 79 ]
..गुरु का बतलाया मार्ग ..
हे मदनान्तक | भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा ||
हें भोले शंकर , चरणों में , तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||..
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद ..,
डॉ.ओ.पी.व्यास
गुरु का बतलाया मार्ग ..
हें मदनान्तक | भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा |
हे भोले शंकर | चरणों में , तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||
स्नान ध्यान कर गंगा में , फल पुष्प पवित्र चढ़ाता हूँ |
कन्दरा में बैठ पूजन करता , आप में ही लीन हो जाता हूँ ||
आप ही हो प्रभु बस ध्यान योग्य , अब नहीं किसी को ध्याता हूँ |
फलाहार से जीवन यापन कर , सुख शान्ति असीम मैं पाता हूँ ||
हें विभो | गुरु के बतलाये , ध्यान मार्ग पर निशि दिन चल कर के ,
रत चरण आपके रह कर के ,भव सिंधु पार पा पाऊँगा |
हें मदनान्तक |भव सागर से , पार कैसे जा पाऊंगा |
हें भोले शंकर | चरणों में ,तेरे मैं कब आ जाऊंगा ||
श्लोक क्र. [ 79 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद,
डॉ.ओ.पी.व्यास
11 .3 . 1997 सोमवार
डॉ.ओ.पी.व्यास
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