[ 394 ] ..
श्लोक क्र. [ 78 ]
..गति कहाँ ..
.ह्र्दय में मनोरथ , हुए जीर्ण सब |
यौवन गया, वृद्ध हो गये हैं अब ||.
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
.हिंदी काव्य भावानुवाद
..डॉ.ओ.पी.व्यास ..
गति कहाँ ...
ह्रदय में मनोरथ , हुए जीर्ण सब |
यौवन गया ,, वृद्ध हो गये हैं अब ||
गुणज्ञों बिना , गुण अंगों के सारे |
बन्ध्या से बेकार , हो गये बेचारे ||
सामने आगया लो अब बलवान काल |
कृतान्त से क्षमा का कहाँ है सवाल ||
अब तो मदनांतक , शिव के ,युगल वे चरण |
कहां अन्य गति अब ,उन्हीं की शरण ||
श्लोक क्र .[ 78 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
दि. 11 3 1997
[बन्ध्या याने सन्तान हीन ] [कृतान्त याने यम राज ]
पूज्य पिता जी श्रीमान कंवर लाल जी भंवर लाल जी व्यास भट्ट जी भदौरा जागीर वाले गुना म.प्र.
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श्लोक क्र. [ 78 ]
..गति कहाँ ..
.ह्र्दय में मनोरथ , हुए जीर्ण सब |
यौवन गया, वृद्ध हो गये हैं अब ||.
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
.हिंदी काव्य भावानुवाद
..डॉ.ओ.पी.व्यास ..
गति कहाँ ...
ह्रदय में मनोरथ , हुए जीर्ण सब |
यौवन गया ,, वृद्ध हो गये हैं अब ||
गुणज्ञों बिना , गुण अंगों के सारे |
बन्ध्या से बेकार , हो गये बेचारे ||
सामने आगया लो अब बलवान काल |
कृतान्त से क्षमा का कहाँ है सवाल ||
अब तो मदनांतक , शिव के ,युगल वे चरण |
कहां अन्य गति अब ,उन्हीं की शरण ||
श्लोक क्र .[ 78 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
दि. 11 3 1997
[बन्ध्या याने सन्तान हीन ] [कृतान्त याने यम राज ]
पूज्य पिता जी श्रीमान कंवर लाल जी भंवर लाल जी व्यास भट्ट जी भदौरा जागीर वाले गुना म.प्र.
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