[ 393 ]
श्लोक क्र. [ 77 ]
ज्ञान पाकर सज्जनों का , नष्ट हो अभिमान |
मगर दुर्जन का बढ़े अभिमान , पा कर ज्ञान ||
..भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
ज्ञान पाकर सज्जनों का , नष्ट हो अभिमान |
मगर दुर्जन का बढ़े अभिमान , पा कर ज्ञान ||
जैंसे हो एकान्त,योगी करे ,योग के साधन |
और उस एकान्त में ,कामी करे काम आराधन ||
श्लोक क्र. [ 77 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
.....................................................................................................................................................................
श्लोक क्र. [ 77 ]
ज्ञान पाकर सज्जनों का , नष्ट हो अभिमान |
मगर दुर्जन का बढ़े अभिमान , पा कर ज्ञान ||
..भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
ज्ञान पाकर सज्जनों का , नष्ट हो अभिमान |
मगर दुर्जन का बढ़े अभिमान , पा कर ज्ञान ||
जैंसे हो एकान्त,योगी करे ,योग के साधन |
और उस एकान्त में ,कामी करे काम आराधन ||
श्लोक क्र. [ 77 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
.....................................................................................................................................................................