[ 391 ]
श्लोक क्र. [ 75 ] ..
जब तक तन स्वस्थ , नहीं हैं वृद्ध |
इन्द्रियां सक्षम , जब तक समर्थ ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास ,
जब तक तन स्वस्थ , नहीं है वृद्ध |
इन्द्रियाँ सक्षम , जब तक समर्थ ||
जब तक है आयु ,तन नहिं जर्जर |
विद्वद जन को यह श्रेयस्कर |
हो श्रेय प्राप्त , करें वह प्रयास |
आलस ना आने देंय पास ||
क्या लग जाये जब ,घर में आग |
क्या कुआ,तभी खोदोगे भाग |
| श्लोक क्र [ 75 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
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श्लोक क्र. [ 75 ] ..
जब तक तन स्वस्थ , नहीं हैं वृद्ध |
इन्द्रियां सक्षम , जब तक समर्थ ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास ,
जब तक तन स्वस्थ , नहीं है वृद्ध |
इन्द्रियाँ सक्षम , जब तक समर्थ ||
जब तक है आयु ,तन नहिं जर्जर |
विद्वद जन को यह श्रेयस्कर |
हो श्रेय प्राप्त , करें वह प्रयास |
आलस ना आने देंय पास ||
क्या लग जाये जब ,घर में आग |
क्या कुआ,तभी खोदोगे भाग |
| श्लोक क्र [ 75 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
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