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2 सित॰ 2017

[ 283 ] भाग[ २ ] श्री कृष्ण आश्रय स्तोत्रम् .....कलियुग में खल और अधम जन हैं बाढे | सत्कर्म में आयें पाखण्ड आड़े ||.डॉ.ओ.पी.व्यास

               
[283 ] भाग [ २ ] 
जय श्री कृष्ण
श्री कृष्णआश्रय  स्तोत्रम्
श्रीमद् महाप्रभु  जगद्गुरु वल्लभाचार्य  विरचित 
संस्कृत से हिंदी काव्यानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
श्री कृष्णआश्रय  स्तोत्रम्
                     [ 1 ]
कलि युग में, खल ओर अधम, जन   हैं बाढे|
सत्कर्म   में  आयें, पाखण्ड आड़े||
अहंता  और  ममता  के, सब जन हैं मारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण,केवल  सहारे  ||

  [  २ ]
म्लेच्छों  से आक्रान्त, तीरथ ना तारे|
हुए नष्ट सत कर्म, पापों के मारे||
सज्जन दुःखी और; भयभीत सारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
                     [ 3 ]
गंगादि  तीरथ  में, हैं दुष्ट बाढे |
देवता, देव, देवत्व, के  भाव काढ़े ||
भव सिंधु से फिर, कहो कौन तारे|
ऐंसे   में   श्री कृष्ण; केवल सहारे ||
                     [ 4 ]
सत संत, साधु, अहं के हैं मारे|
हुए दुष्ट और, पापिओं  के सहारे||
निज लाभ के यत्न, करते वे सारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे ||
                      [ 5  ]
अधूरे नियम, मन्त्र, वृत, योग सारे |
तिरोहित हुए देव,कौन अब उद्धारे||
ज्ञान अर्थ की भी, समझ ना हमारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
                      [  6  ]
विवादों में मिट गये, व्रत, कर्म सारे|
सभी लोग पाखण्ड, वृत्ति के मारे ||
निस्सार हैं कर्म, व्रत ये हमारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
                [  7  ]
अनुभव में ऐंसा ही, आया हमारे|
अजामिल से कोटों; पापी, उद्धारे||
श्री कृष्ण ही सर्व तारक प्रचारे |
 ऐंसे में श्री कृष्ण केवल, सहारे ||
                [  8 ]
प्राकृत हैं देवी, और देव सारे|
अधूरे ये आनन्द के, देने वारे||
हरि पूर्ण परमान्द, हैं  बस हमारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
               [ 9 ]
विवेक धैर्य हीन हम, हैं बिन, सहारे|
पापों के, तापों के, हम दीन मारे||
नहीं पास साधन और, विधि भी हमारे |
ऐंसे मेंश्री कृष्ण, केवल सहारे||
                [ 10 ] 
श्री कृष्ण प्रभु सर्व,  सामर्थ्य वारे|
भक्तों के इच्छित, फल देने हारे||
शरणागत भये जीव, उनको उद्धारे  |
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
                [11]
यह "कृष्ण आश्रय स्तोत्र" जो  जीव  धारे  |
मिले कृष्ण सानिध्य, जो भी उच्चारे ||

महा प्रभु जमानत, के देने वारे|

 यह श्री" कृष्ण आश्रय" है ताकों, उद्धारे ||
            
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण,केवल, हमारे || 
                            ||इति शुभम् ||

                              जय श्री कृष्ण 


श्री कृष्ण आश्रय  स्तोत्रम  ...काव्यानुवाद                                        डॉ.ओ.पी. व्यास 

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