[283 ] भाग [ २ ]
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
श्री कृष्णआश्रय स्तोत्रम्
श्रीमद् महाप्रभु जगद्गुरु वल्लभाचार्य विरचित
संस्कृत से हिंदी काव्यानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
श्री कृष्णआश्रय स्तोत्रम्
[ 1 ]
कलि युग में, खल ओर अधम, जन हैं बाढे|
सत्कर्म में आयें, पाखण्ड आड़े||
अहंता और ममता के, सब जन हैं मारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण,केवल सहारे ||
[ २ ]
हुए नष्ट सत कर्म, पापों के मारे||
सज्जन दुःखी और; भयभीत सारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
[ 3 ]
गंगादि तीरथ में, हैं दुष्ट बाढे |
भव सिंधु से फिर, कहो कौन तारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण; केवल सहारे ||
[ 4 ]
सत संत, साधु, अहं के हैं मारे|
हुए दुष्ट और, पापिओं के सहारे||
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे ||
[ 5 ]
अधूरे नियम, मन्त्र, वृत, योग सारे |
तिरोहित हुए देव,कौन अब उद्धारे||
ज्ञान अर्थ की भी, समझ ना हमारे|
[ 6 ]
विवादों में मिट गये, व्रत, कर्म सारे|
सभी लोग पाखण्ड, वृत्ति के मारे ||
निस्सार हैं कर्म, व्रत ये हमारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
[ 7 ]
अनुभव में ऐंसा ही, आया हमारे|
अजामिल से कोटों; पापी, उद्धारे||
श्री कृष्ण ही सर्व तारक प्रचारे |
ऐंसे में श्री कृष्ण केवल, सहारे ||
[ 8 ]
प्राकृत हैं देवी, और देव सारे|
अधूरे ये आनन्द के, देने वारे||
हरि पूर्ण परमान्द, हैं बस हमारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
[ 9 ]
विवेक धैर्य हीन हम, हैं बिन, सहारे|
पापों के, तापों के, हम दीन मारे||
नहीं पास साधन और, विधि भी हमारे |
ऐंसे मेंश्री कृष्ण, केवल सहारे||
[ 10 ]
श्री कृष्ण प्रभु सर्व, सामर्थ्य वारे|
भक्तों के इच्छित, फल देने हारे||
शरणागत भये जीव, उनको उद्धारे |
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे||
[11]
यह "कृष्ण आश्रय स्तोत्र" जो जीव धारे |
मिले कृष्ण सानिध्य, जो भी उच्चारे ||
महा प्रभु जमानत, के देने वारे|
यह श्री" कृष्ण आश्रय" है ताकों, उद्धारे ||
ऐंसे में श्री कृष्ण, केवल सहारे|
ऐंसे में श्री कृष्ण,केवल, हमारे ||
||इति शुभम् ||
जय श्री कृष्ण
श्री कृष्ण आश्रय स्तोत्रम ...काव्यानुवाद डॉ.ओ.पी. व्यास
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