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भावानुवाद .......राम चरित मानस
सुन्दर काण्ड
प्रथम मंगलाष्टक श्लोक
डॉ. ओ.पी.व्यास [ गुना म. प्र.]
[ 1 / 6/ 2016 बुधवार
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[शान्तं शाश्वतं प्रमेय मनघ . ...................]
शाश्वत ,शांत अप्रमेय [ प्रमाणों से परे ] हैं ,
अनघ पाप को दूर करें | 1
शान्ति मोक्ष निर्वाण प्रदाता ,
पाप ताप को चूर करें ||२
ब्रह्मा, शंभु ,फणीन्द्र [ शेष ] से सेवित ,
वेद स्तुति भर पूर करें |3
व्यापक प्रभु सर्वत्र सब जगह ,
राम नाम मशहूर करें ||4
सर्व जगत के जो हैं ईश्वर ,
देवों के सुरगुरु हैं बड़े | 1
माया से मनुष्य रूप प्रभु ,
कष्ट हरण को सदा खड़े |2
रघुवरं राम की करें वन्दना ,
चरण शरण हम आन पड़े ||3
सब राजाओं के वे राजा ,
चूड़ा मणि मुक्ता से जड़े ||4
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