[ [ 382 ] .
.श्लोक क्र.[69 ] .
.यह आयु हमारी अति अस्थिर |
ज्यों जल में जैंसे उठे लहर ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
यह आयु हमारी है अस्थिर |
ज्यों जल में जैंसे उठे लहर ||
यौवन की भी अपनी सीमा ,
आता है शीघ्र बुढापा घिर |
मन के संकल्प विकल्पों सा ,
धन भी रहता वैसा अस्थिर |
वर्षा बिजली जैंसे ही क्षणिक ,
सुख , विषय वासना भी आखिर |
स्थाई सुख वह नहीं हैं चिर ,
यह मिलन आदि होते जाहिर ||
पार वही भव भय सागर पर ,
होंय ब्रह्म आसक्त मोह को ठुकरा कर
श्लोक क्र [ 69...1 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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.श्लोक क्र.[69 ] .
.यह आयु हमारी अति अस्थिर |
ज्यों जल में जैंसे उठे लहर ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
यह आयु हमारी है अस्थिर |
ज्यों जल में जैंसे उठे लहर ||
यौवन की भी अपनी सीमा ,
आता है शीघ्र बुढापा घिर |
मन के संकल्प विकल्पों सा ,
धन भी रहता वैसा अस्थिर |
वर्षा बिजली जैंसे ही क्षणिक ,
सुख , विषय वासना भी आखिर |
स्थाई सुख वह नहीं हैं चिर ,
यह मिलन आदि होते जाहिर ||
पार वही भव भय सागर पर ,
होंय ब्रह्म आसक्त मोह को ठुकरा कर
श्लोक क्र [ 69...1 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
हिंदी काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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