[ 364 ]..
.हें माता लक्ष्मी अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
.श्लोक क्र [ 53 ] ..
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ..
डॉ. ओ.पी.व्यास
हें माता लक्ष्मी अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
मैं दास नहीं अब भोगों का |
अभ्यासी अब शिव योगों का ||
निस्पृही हुआ , अब मैं माता |
जा छोड़ , तोड़ मुझसे नाता | |
अब ताजे पलाश के दोने में |
अब बैठ किसी भी कोने में ||
भिक्षा के सत्तू, का खाना |
उद्देश्य मेरा , अब प्रभु पाना |
माँ, मत रख अब , मुझ से आशा |
मैं भूल गया तेरी भाषा ||
शिव के चरण में, मन है लगा |
शिव से भिन्न, कोई ना सगा ||
हें माता लक्ष्मी , अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
श्लोक क्र. [ 53 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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.हें माता लक्ष्मी अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
.श्लोक क्र [ 53 ] ..
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ..
डॉ. ओ.पी.व्यास
हें माता लक्ष्मी अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
मैं दास नहीं अब भोगों का |
अभ्यासी अब शिव योगों का ||
निस्पृही हुआ , अब मैं माता |
जा छोड़ , तोड़ मुझसे नाता | |
अब ताजे पलाश के दोने में |
अब बैठ किसी भी कोने में ||
भिक्षा के सत्तू, का खाना |
उद्देश्य मेरा , अब प्रभु पाना |
माँ, मत रख अब , मुझ से आशा |
मैं भूल गया तेरी भाषा ||
शिव के चरण में, मन है लगा |
शिव से भिन्न, कोई ना सगा ||
हें माता लक्ष्मी , अब तू जा |
अब भजन और कोई के गा ||
श्लोक क्र. [ 53 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
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