[ 365 ]..
श्लोक क्र.[ 54 ].
.हें मित्र , समझते थे ,पहिले |
जो तुम थे, ,हम थे ,हम तुम थे ||
..भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास ..
हें मित्र , समझते थे पहिले |
जो तुम थे ,हम थे | हम तुम थे ||
अब क्या ,? परिवर्तन आज हुए |
तुम तुम ना रहे , हम हम ना रहे ||
हें मित्र , भेद था ना पहिले |
जो तुम थे ,हम थे ,हम तुम थे |
दोंनों ही एक जान ,एक दिल |
,तुम, हम में ,हम, तुम में ,गुम थे ||
अब क्या ? परिवर्तन आज हुए |
तुम तुम हो गये , हम हम रह गये ||
ज्यादा तर ऐंसा ही तो हुआ |
अब परे भेद के कम रह गये ||
श्लोक क्र. [ 54 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
13 2 1997
गुरु वार
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श्लोक क्र.[ 54 ].
.हें मित्र , समझते थे ,पहिले |
जो तुम थे, ,हम थे ,हम तुम थे ||
..भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास ..
हें मित्र , समझते थे पहिले |
जो तुम थे ,हम थे | हम तुम थे ||
अब क्या ,? परिवर्तन आज हुए |
तुम तुम ना रहे , हम हम ना रहे ||
हें मित्र , भेद था ना पहिले |
जो तुम थे ,हम थे ,हम तुम थे |
दोंनों ही एक जान ,एक दिल |
,तुम, हम में ,हम, तुम में ,गुम थे ||
अब क्या ? परिवर्तन आज हुए |
तुम तुम हो गये , हम हम रह गये ||
ज्यादा तर ऐंसा ही तो हुआ |
अब परे भेद के कम रह गये ||
श्लोक क्र. [ 54 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
13 2 1997
गुरु वार
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