होली
व्यर्थ मिटाओ, व्यर्थ जलाओ, होली हमें सिखाती है ।
नव निर्माण करो जीवन में , राह हमें दिखलाती है ॥
कूड़ा, कचरा, व्यर्थ सोच की होली हमें जलाना है ।
नया जमाना, नयी राह, और मंज़िल , नयी बनाना है ॥
नकली रंग , रोगन, नकली से , जीवन ना रंगीन बने ।
असली रंग , उमंग, जीवन में, नव प्रकाश के सीन भरें ॥
एक बनें हम ,नेक बनें हम , सत युग फिर से लाना है ।
कूड़ा ,कचरा, व्यर्थ सोच की , होली हमें जलाना है ॥[ 1]
हम में ही हैं , राम, कृष्ण सब , हम में, देव, देवीयाँ हैं ।
हम ही परम पिता के सुत हैं , हम छोटी सी बेबियाँ हैं ॥
हम को सद गुण विकसित करके नए तराने गाना हैं ॥
कूड़ा कचरा व्यर्थ सोच की ,होली हमें जलाना है ॥