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21 फ़र॰ 2013

हर पल [ लम्हा ]

हर पल [लम्हा ]

जो भी करिए सोच के करिए ,
हर पल युग परिवर्तक है । 
परम पिता के हाथों मानव ,
कठपुतली है ,नर्तक है ॥ 
कोशिश तो करते ही रहिए ,
जो कहना महाकाल से कहिए ,
वह ही बुद्धि प्रवर्तक है ॥ 
[लम्हे को कम ना मानिए ....लम्हा गुज़र गया तो समझो सदी गई । ....शेर ...अज्ञात ]

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद