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10 जुल॰ 2013

डॉ .दिनकर पेंढारकर के काव्य संग्रह ....भोर की टेर ...के विमोचन के सुअवसर पर .... बधाइयाँ ...

श्रीमान डॉ . दिनकर पेंढारकर जी को उन के काव्य संग्रह भोर की टेर के विमोचन पर अनेक बधाईयां ...

..डॉ .ओ .पी .व्यास नई सड़क गुना [ म.प्र. ] ...

दिनकर में ही सामर्थ्य है , जो करे भोर की टेर | 

उल्लू तो सोते रहें अपनी आँखें फेर || 

अपनी आँखें फेर , दोष नहीं इस में सूर्य का |

मधुर गुण देगा स्वाद ,खुद के माधुर्य का || 

खुद जो है जाग्रत ,वही जागरण करता || 

जाग्रत जो भगवान ,उसी की फैली सत्ता ||

बहतर हुए बहत्तर में {72 वर्ष के },और लिखीं तेहत्तर कविता |

शुचिता गुण से पूर्ण , दिखे प्रभु की ही सविता ||

" डॉ . ओ . पी व्यास " करें कोटिश; वंदन |

डॉ दिनकर ... भोर टेर महके ज्यों चन्दन || .
.अनेक शुभ कामनाओं सहित ....28 जनवरी 2010

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद