श्रीमान डॉ . दिनकर पेंढारकर जी को उन के काव्य संग्रह भोर की टेर के विमोचन पर अनेक बधाईयां ...
..डॉ .ओ .पी .व्यास नई सड़क गुना [ म.प्र. ] ...
दिनकर में ही सामर्थ्य है , जो करे भोर की टेर |
उल्लू तो सोते रहें अपनी आँखें फेर ||
अपनी आँखें फेर , दोष नहीं इस में सूर्य का |
मधुर गुण देगा स्वाद ,खुद के माधुर्य का ||
खुद जो है जाग्रत ,वही जागरण करता ||
जाग्रत जो भगवान ,उसी की फैली सत्ता ||
बहतर हुए बहत्तर में {72 वर्ष के },और लिखीं तेहत्तर कविता |
शुचिता गुण से पूर्ण , दिखे प्रभु की ही सविता ||
" डॉ . ओ . पी व्यास " करें कोटिश; वंदन |
डॉ दिनकर ... भोर टेर महके ज्यों चन्दन || .
.अनेक शुभ कामनाओं सहित ....28 जनवरी 2010