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13 जुल॰ 2013

कनाडा यात्रा के बीच ..मौसम

कनाडा यात्रा ... मौसम 
तीन माह सर्दी पड़ी, खूब पड़ा था शीत। 
                      धीरे धीरे सर्दी गई,  गई ठंड अब बीत। 
  बरफ गिरी कई बार थी, हुई कई बार बरसात। 
                      कहीं कोई दिखता ना था ,ना कोई पक्षी   ना आदम जात  कीड़े,मकोड़े गए थे, हाई बरनेशन में छुप। 
                     वृक्ष आदि पत्ते बिना, बैठे हुए थे दुक ॥
 फिर जैसे ही वसंत आई, सब में आई उमंग।
                    गायब बरफ होने लगी, बदल गए सब रंग ॥
फूल ,पात सब आ गए, बाहर आए जीव ।
                    पल में बदला, वातावरण, हो गए सभी सजीव ॥
जब स्प्रिंग [वसंत ऋतु ], की स्प्रिंग मिली,या औसम ने जंप ।
                   खुशीओं के छक्के लगे ,उखड़ गए स्टम्प ॥
 मेराइन लेंड, रीक्रिएशन सेंटर ,सब के खुल गए द्वार ।
                                    नए कार्यक्रम होने लगे, आई नई बहार॥
सड़कों की साइड के ऊपर अब लगे दौड़ने लोग।
                         साईकल भी चलने लगीं, मिला मोटर सायकल योग॥
 सिटी बसें भरने लगीं भरे,  पिकनिक स्पौट ।
                        फन सेंटर सब खुल गए ,अब खुशियाँ हुईं एलाट ॥
नियाग्रा फाल आने लगी, अब लोगों की भीड़ ।
                        पक्षी बाहर आ गए छोड़ छोड़ कर नीड़ ।
काली चिड़िया ,कबूतर और दिखीं गौरय्या ।
                       कोवे भी दिखने लगे, हंस [Goos ] आ गए भय्या ॥
आसमान अब भर गया चलीं पक्षिन की फौज ।
                         गरज ये है निकले सभी खूब मनाने मौज ॥
धीरे धीरे पकड़ गयी, तेजी अब तो धूप। 
                         पंखे भी चलने लगे,बदल गया सब रूप॥ 
रिपिस्टिक चलने लगीं, अब हुए क्रिकेट के गेम । 
                        कपड़े फेंक सब चल दिए, छोड़ छोड़ कर शेम॥ 
बास्केट बाल, जिम्नाशियम आदि का चला दौर । 
                         वर्णन लंबा होएगा,  अगर लिखेंगे और॥
 कु.अनन्या घुटने चलने लग गई ,लगी खोपड़ी फूट । 
                          खड़ी होने की जुगत में ,अब ना रही अटूट॥ 
नैनसी ,लकिया आदि बन गए उसके बहुत से  फ्रेंड । 
                         ऊधम इतना करने लग गई ,नहीं है जिसका एंड॥ 
जिसको देखो वही अब  , बन रहा उसका मित्र । 
                          हमने खूब बनाए वीडियो ,खींचे बहुत से चित्र॥ 
अर्णव भैया रख रहे, उसका  बहुत  हैं ध्यान। 
                         जय जय जय श्रीक़ृष्ण जी, जय जय शिव  हनुमान॥ 
श्री राम चंद्र जी रक्षा करें, करें प्रार्थना रोज़ । 
                         परमात्मा की कृपा से, खूब मनाएँ मौज॥ 
        डॉ .ओ .पी .व्यास नई सड़क गुना म.प्र .21/6/2011 मंगलवार /मोबाइल ...09425766913

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद