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भर्तृहरि वैराग्य शतक
श्लोक [ क्र 49 ]
काव्य भावानुवाद
..डॉ. ओ.पी.व्यास
ज्यों बादल में बिजली चमके |
अस्थिर सारे भोग जगत के ||
ज्यों बादल में बिजली चमके |
अस्थिर सारे भोग जगत के ||
वर्षा वाले मेघ ,वायु से ,ज्यों छितराते |
बस वैसे ही क्षण भंगुर , जीवन को पाते |
ना ही स्थिर रह पाती , यौवन तरंग भी ||
होता सब कुछ नष्ट , नहीं रहती , उमंग भी ||
हें सज्जन ,बुद्धिमान ,यही विधि केवल ली जे |
सुलभ , समाधि , सिद्धि, धैर्य एकाग्र हो कीजे |
इसमें ही मन लगा रहे , बस कीजे यही प्रयास |
हर क्षण जीवन का अमूल्य है हर क्षण है अति ख़ास |
भर्तृहरि वैराग्य शतक
|[ श्लोक क्र 49 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक
भर्तृहरि वैराग्य शतक
श्लोक [ क्र 49 ]
काव्य भावानुवाद
..डॉ. ओ.पी.व्यास
ज्यों बादल में बिजली चमके |
अस्थिर सारे भोग जगत के ||
ज्यों बादल में बिजली चमके |
अस्थिर सारे भोग जगत के ||
वर्षा वाले मेघ ,वायु से ,ज्यों छितराते |
बस वैसे ही क्षण भंगुर , जीवन को पाते |
ना ही स्थिर रह पाती , यौवन तरंग भी ||
होता सब कुछ नष्ट , नहीं रहती , उमंग भी ||
हें सज्जन ,बुद्धिमान ,यही विधि केवल ली जे |
सुलभ , समाधि , सिद्धि, धैर्य एकाग्र हो कीजे |
इसमें ही मन लगा रहे , बस कीजे यही प्रयास |
हर क्षण जीवन का अमूल्य है हर क्षण है अति ख़ास |
भर्तृहरि वैराग्य शतक
|[ श्लोक क्र 49 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक