क्या करें दुनिया है पूरी दोगली,
क्या करें दुनिया है पूरी दोगली।
हम चाह कर भी छोड़ते ना वो गली,
हम आदि मानव थे, ना मानव बन सके।
छोड़ कर जाता नहीं वो मोगली।
हम अपनों से ही कर रहे हैं हरकतें,
मारते रहते हैं उन पर गोगली।
पूँछ कुत्ते की ना सीधी हो सकी ,
कोशिशें कर के है हारी पोंगली ..
पूँछ कुत्ते की ना सीधी हो सकी ,
कोशिशें कर के है हारी पोंगली ..
वहीं फ़ितरत ‘’ व्यास ‘’ ले जाती हमें,
कसमें खा कर छोड़ देते जो गली।
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