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श्लोक क्र 46
आज हुआ है प्राप्त बड़े तप का यह फल है ।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
आज हुआ है प्राप्त बड़े तप का यह फल है ।
कौन बड़ा था किया जो तप हमने था कल है ।।
बहुत काल तक तर्क वितर्क विचार किया है ।
नहीं समझ आता प्रभु ने जो सुफल दिया है ।।
उस तप के ही फल से ही मिला स्वछंद विचरना ।
सत्पुरुषों की संगति , भोजन बिना दीनता करना ।।
मन की शांति के उपशम व्रत रूपी फल वाले ।
शास्त्र श्रवण करना मिल गए सब बैठे ठाले ।।
सांसारिक भावों में मन्द प्रवृत्ति मन की ।
सब कुछ कैंसे प्राप्त , तपस्या किस जीवन की ।।
श्लोक क्र 46
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
7 2 1997
श्लोक क्र 46
आज हुआ है प्राप्त बड़े तप का यह फल है ।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
आज हुआ है प्राप्त बड़े तप का यह फल है ।
कौन बड़ा था किया जो तप हमने था कल है ।।
बहुत काल तक तर्क वितर्क विचार किया है ।
नहीं समझ आता प्रभु ने जो सुफल दिया है ।।
उस तप के ही फल से ही मिला स्वछंद विचरना ।
सत्पुरुषों की संगति , भोजन बिना दीनता करना ।।
मन की शांति के उपशम व्रत रूपी फल वाले ।
शास्त्र श्रवण करना मिल गए सब बैठे ठाले ।।
सांसारिक भावों में मन्द प्रवृत्ति मन की ।
सब कुछ कैंसे प्राप्त , तपस्या किस जीवन की ।।
श्लोक क्र 46
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
7 2 1997