[ 356 ]
श्लोक क्र 45 /
भर्तृहरि वैराग्य शतक /
काव्य भावानुवाद
--डॉ ओ पी व्यास--
हे राजन वल्कल वस्त्रों में हम हैं पूर्ण सन्तुष्ट ।
--हे राजन , वल्कल वस्त्रों में ,हम हैं पूर्ण सन्तुष्ट ।
आप भी राजन ,राजस वस्त्रों में लगते सुंदर पुष्ट ।।
इस प्रकार सन्तोष आप में और हम में है एक ।
जैसा है सन्तोष आप में , वह ही हम में नेक ।।
पर राजन जो तृष्णा पीड़ित , वह प्राणी अति दीन ।
मन में पूर्ण सन्तोष नहीं , वह प्राणी अति हीन ।।
--डॉ ओ पी व्यास
श्लोक क्र 45 /
भर्तृहरि वैराग्य शतक /
काव्य भावानुवाद
--डॉ ओ पी व्यास--
हे राजन वल्कल वस्त्रों में हम हैं पूर्ण सन्तुष्ट ।
--हे राजन , वल्कल वस्त्रों में ,हम हैं पूर्ण सन्तुष्ट ।
आप भी राजन ,राजस वस्त्रों में लगते सुंदर पुष्ट ।।
इस प्रकार सन्तोष आप में और हम में है एक ।
जैसा है सन्तोष आप में , वह ही हम में नेक ।।
पर राजन जो तृष्णा पीड़ित , वह प्राणी अति दीन ।
मन में पूर्ण सन्तोष नहीं , वह प्राणी अति हीन ।।
--डॉ ओ पी व्यास