[ 355]
[ श्लोक क्र 44]
कब आयेगी भगवन शरद की यामिनी ।
कब आयेगी भगवन शरद की यामिनी ।
होगी सब जगह छिटकी वो प्यारी चांदनी ।।
जब सर्वस्व अपना याचकों को बांट कर ।
करुणा पूर्ण उर से विश्व बन्धन काट कर।।
विषम परिणाम वाली दैव गति का स्मरण कर ।
शरण मिल जाय चरणों की मुझे कब प्राप्त हों शंकर ।
तपोवन में परम् पवित्र प्रभु जी जब करूंगा वास ।
कब वह आयेगी रजनी हे प्रभु कुछ दीजिये आभास ।।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
श्लोक क्र. 44
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[ श्लोक क्र 44]
कब आयेगी भगवन शरद की यामिनी ।
होगी सब जगह छिटकी वो प्यारी चांदनी ।।
जब सर्वस्व अपना याचकों को बांट कर ।
करुणा पूर्ण उर से विश्व बन्धन काट कर।।
विषम परिणाम वाली दैव गति का स्मरण कर ।
शरण मिल जाय चरणों की मुझे कब प्राप्त हों शंकर ।
तपोवन में परम् पवित्र प्रभु जी जब करूंगा वास ।
कब वह आयेगी रजनी हे प्रभु कुछ दीजिये आभास ।।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ ओ पी व्यास
श्लोक क्र. 44
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