341 / 33 /..
कमलिनी पत्र पर जैंसे ,जल के विन्दु के जैंसा |बचा कर प्राण क्षण भंगुर ,कर के काम क्या ? कैंसा ? ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद..
डॉ. ओ.पी.व्यास ..
कमलिनी पत्र पर जैंसे , जल के विन्दु के जैसा |
बचा कर प्राण क्षण भंगुर ,कर के काम क्या ? कैंसा ?||
नहीं सोचा कि क्या करना ? ,या फिर नहीं करना |
किया क्या ?नहीं है हमने ,कि था मालूम है मरना ||
धन मद चूर धनिकों के , हमने सामने अक्सर |
नहीं हम पाप से चूके , स्वयं अपनी प्रशंसा कर ||
श्लोक क्र . 33
डॉ.ओ.पी.व्यास
4/ २/ 1997
मंगलवार
.............................................................................
कमलिनी पत्र पर जैंसे ,जल के विन्दु के जैंसा |बचा कर प्राण क्षण भंगुर ,कर के काम क्या ? कैंसा ? ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद..
डॉ. ओ.पी.व्यास ..
कमलिनी पत्र पर जैंसे , जल के विन्दु के जैसा |
बचा कर प्राण क्षण भंगुर ,कर के काम क्या ? कैंसा ?||
नहीं सोचा कि क्या करना ? ,या फिर नहीं करना |
किया क्या ?नहीं है हमने ,कि था मालूम है मरना ||
धन मद चूर धनिकों के , हमने सामने अक्सर |
नहीं हम पाप से चूके , स्वयं अपनी प्रशंसा कर ||
श्लोक क्र . 33
डॉ.ओ.पी.व्यास
4/ २/ 1997
मंगलवार
.............................................................................