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हें काल , तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ. ओ.पी.व्व्यास ..
हें काल , तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार ||
वह कहाँ गई नगरी सुरम्य ,
वे भूप कहाँ हैं गुण वाले |
उनके अधीन के राजा गण ,
वे कहाँ गये चक्र वाले ||
वे आस पास वाले पण्डित ,
वे परम सुन्दरी कामिनियाँ |
वे झुण्ड राज पुत्रों के कहाँ,
वे चतुर बंदी गण गये कहाँ ||
आदर्श चरित्रों की वे कथा ,
गईं कहाँ वे शेष व्यथा |
वे काल के वश ही हुए सभी ,
लगता है केवल यही पता ||
अब केवल उन के नाम शेष ,अब नामों का ही है प्रचार |
हें काल तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार |
|श्लोक क्र. [ 34 ]
डॉ.ओ.पी.व्यास
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हें काल , तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
काव्य भावानुवाद ..
डॉ. ओ.पी.व्व्यास ..
हें काल , तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार ||
वह कहाँ गई नगरी सुरम्य ,
वे भूप कहाँ हैं गुण वाले |
उनके अधीन के राजा गण ,
वे कहाँ गये चक्र वाले ||
वे आस पास वाले पण्डित ,
वे परम सुन्दरी कामिनियाँ |
वे झुण्ड राज पुत्रों के कहाँ,
वे चतुर बंदी गण गये कहाँ ||
आदर्श चरित्रों की वे कथा ,
गईं कहाँ वे शेष व्यथा |
वे काल के वश ही हुए सभी ,
लगता है केवल यही पता ||
अब केवल उन के नाम शेष ,अब नामों का ही है प्रचार |
हें काल तुम्हें है नमस्कार | तुम्हें नमो नमह है बार बार |
|श्लोक क्र. [ 34 ]
डॉ.ओ.पी.व्यास
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