328 / 23 /...त्वं राजा ...
हें राजन | यदि आपको , राज्य का अभिमान |
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास
हें राजन | यदि आपको ,
राज्य का अभिमान |
हम पर गुरु सेवा का मद
क्या आपको ध्यान ||
हैं आप अति ऐश्वर्य शाली ,
और जगत प्रसिद्ध |
चहुँओर कविओं ने किया है ,
यश हमारा सिद्ध ||
है नहीं अंतर ,आप में हम में ,
फेरते क्यों मुख ?|
हम भी निस्पृह हैं ,
हम को भी इसी में सुख ||
श्लोक क्र. 23
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
25 / 10 /1996
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हें राजन | यदि आपको , राज्य का अभिमान |
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ..
डॉ.ओ.पी.व्यास
हें राजन | यदि आपको ,
राज्य का अभिमान |
हम पर गुरु सेवा का मद
क्या आपको ध्यान ||
हैं आप अति ऐश्वर्य शाली ,
और जगत प्रसिद्ध |
चहुँओर कविओं ने किया है ,
यश हमारा सिद्ध ||
है नहीं अंतर ,आप में हम में ,
फेरते क्यों मुख ?|
हम भी निस्पृह हैं ,
हम को भी इसी में सुख ||
श्लोक क्र. 23
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
25 / 10 /1996