भर्तृहरि नीति शतक
काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास
जैंसे काटा हुआ वृक्ष भी ,
बढ़ता फिर है कट कर |
क्षीण हुआ चन्द्रमा बढ़ता ,
बार बार है घट कर ||
ऐसा कर विचार , हें सत्पुरुष ,
मत ला मन में ख्याल
आज नहीं कल कट जाएंगे ,
तेरे संकट काल ||श्लोक क्र.88
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