पृष्ठ

19 नव॰ 2016

[89] ..दैव प्रशंषा...मंत्र अधिष्ठाता ब्रहस्पति करते हों जिनका नेतृत्व |....

भर्तृहरि नीति शतक 
काव्यानुवाद श्लोक क्र .[89 ].......डॉ.ओ.पी.व्यास 
देव प्रशंषा
मन्त्र अधिष्ठाता बृहस्पति ,
करते हों जिनका नेतृत्व |
और वज्र आयुध है जिनका ,
सैनिक देव , स्वर्ग का दुर्ग ||
वाहन है जिनका ऐरावत ,
सब ऐश्वर्य बल से सम्पन्न |
फिर भी हार , भगा ,शत्रु से ,
जैसे कोई होय विपन्न ||
इसीलिए यह बात श्रेष्ठ है ,
दैव शरण के होता योग्य |
काम ना आये कोई पौरुष ,
है धिक्कार, जो हुआ अयोग्य ||
[ 89 ]


.............................................................................

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद