भर्तृहरि नीति शतक
काव्यानुवाद श्लोक क्र .[89 ].......डॉ.ओ.पी.व्यास
देव प्रशंषा
मन्त्र अधिष्ठाता बृहस्पति ,
करते हों जिनका नेतृत्व |
और वज्र आयुध है जिनका ,
सैनिक देव , स्वर्ग का दुर्ग ||
वाहन है जिनका ऐरावत ,
सब ऐश्वर्य बल से सम्पन्न |
फिर भी हार , भगा ,शत्रु से ,
जैसे कोई होय विपन्न ||
इसीलिए यह बात श्रेष्ठ है ,
दैव शरण के होता योग्य |
काम ना आये कोई पौरुष ,
है धिक्कार, जो हुआ अयोग्य ||
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