..जब जल जाती पृथ्वी सारी, और गिरि सुमेरु हो खण्ड खण्ड |
महा सिन्धु भी जब सूखे , फिर मानव तन तो अति मन्द ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक ,[ 416 ] ..श्लोक क्र.[ 100 ]
हिंदी काव्य भावानुवाद ,
डॉ.ओ.पी.व्यास
|| इति शुभम ||
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||इति भर्तृहरि कृत ..वैराग्य शतक ..हिंदी काव्य भावानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास||
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विशेष ..
जय जय योगिराज भर्तृहरि, जय जय आशुतोष भगवान |
ज्योति ..व्यास ..के पापी उर में , जला दीजिए शिव भगवान् ||
पूर्ण हुआ वैराग्य शतक .. ..धन्य धन्य है अपना भाग्य |
हम सब पर भी.. शिव.. कृपा करें ,हम में जगे परम वैराग्य |
नोट ..|वैराग्य शतक हिंदी काव्य भावानुवाद पूर्ण हुआ |.
.डॉ.ओ.पी.व्यास
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