325 / 20 / 1 ...अजान न्माहा तम्य्म पतनु शलभो ...
अग्नि की महिमा ना जाने शलभ जाता जल |...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
प्रथम [ 1 ]..
शक्ति अग्नि की ना जाने ,
शलभ जाता जल |
माँस का लालच दे मछली ,
मार देते खल ||
ये तो हैं अनजान ,
पर सब जान कर भी हम |
कामनाओं को नहीं ,
करते कभी हैं कम ||
फंसे जाते कामनाओं के ,
जटिल जंजाल में |
छूटने की भावना ,
लाते कभी ना ख़याल में ||
मोह की महिमा अगम ,
जिसका नहीं है पार |
रोज बढ़ता भार ,
गठरी मोह सिर ली धार ||
श्लोक क्र[.20 ][ 1 ]
भर्तृहरि वैराग्य शतक काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
20 / २ /...द्वितीय ..
चमक दमक पर दीप शिखा की ,
देख पतंगा जलता है |
मछली चारे पर मर जाती ,
कहो उसे क्या मिलता है ? ||
इसी तरह से यह मानव भी ,
कामनाओं में फंसता है |
अगम मोह की महिमा है यह ,
इसमें दिन दिन धंसता है ||20 / २ /...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ...
डॉ .ओ.पी.व्यास
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अग्नि की महिमा ना जाने शलभ जाता जल |...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
प्रथम [ 1 ]..
शक्ति अग्नि की ना जाने ,
शलभ जाता जल |
माँस का लालच दे मछली ,
मार देते खल ||
ये तो हैं अनजान ,
पर सब जान कर भी हम |
कामनाओं को नहीं ,
करते कभी हैं कम ||
फंसे जाते कामनाओं के ,
जटिल जंजाल में |
छूटने की भावना ,
लाते कभी ना ख़याल में ||
मोह की महिमा अगम ,
जिसका नहीं है पार |
रोज बढ़ता भार ,
गठरी मोह सिर ली धार ||
भर्तृहरि वैराग्य शतक काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
20 / २ /...द्वितीय ..
चमक दमक पर दीप शिखा की ,
देख पतंगा जलता है |
मछली चारे पर मर जाती ,
कहो उसे क्या मिलता है ? ||
इसी तरह से यह मानव भी ,
कामनाओं में फंसता है |
अगम मोह की महिमा है यह ,
इसमें दिन दिन धंसता है ||20 / २ /...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद ...
डॉ .ओ.पी.व्यास
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