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4 नव॰ 2017

[ 312 ] .. ...वह कार्तिक पूर्णिमा ही तो थी , जिन दिन औदीच्य बने राजा |.उस दिन से विद्या वैभव का , गुजरात में बाजा था बाजा ||.ब्लॉग ...डॉ.ओ.पी.व्यास

वह कार्तिक पूर्णिमा ही तो  थी ? |[ 312 ]...
 डॉ.ओ.पी.व्यास

 कार्तिक पूर्णिमा ...

वह कार्तिक पूर्णिमा ही तो थी,  जिस दिन औदीच्य बने राजा |

उस दिन से  विद्या  वैभव का,  गुजरात  में, बाजा था बाजा ||

घर-घर में मन्त्र उच्चार हुएहवन हुए उपदेश हुए |

मानव जीवन को पाने केमानो पूर्ण उद्देश हुए ||

सम्पूर्ण गगन में सुगन्धि थी, वातावरण विशुद्ध हुआ |

दया  धर्म  संचार हुआ, हर एक वहां पर शुद्ध हुआ ||

जय जय जय शिव की ध्वनि से ही, गुंजित पूर्ण आकाश हुआ |

श्री सम्पन्नता वैभव को, जाने को ना अवकाश हुआ ||

सभी ओर प्रेम , भाई चारे, की ही  सुगन्धि  छाई थी |

माता सरस्वति के साथ साथ , लक्ष्मी भी धरा पर आईं थीं ||

वैंसे ही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , सारे ही जग में है प्रसिद्ध रहा |

कोहिनूर हीरा शिव के , तृतीय  नेत्र  में सिद्ध रहा |

 ज्योतिर्लिंग सोमनाथ अधर में, बिना सहारे अद्भुत थे |

असली चन्दन के फाटक भी, सुगन्धि हेतु उद्यत थे ||

और सिद्धपुर रूद्र महालय की, छटा तो अत्यंत निराली थी |

भक्तों और तीर्थ यात्रिओ से कोई भी गली ना खाली थी||

गुप्त सरस्वति प्रकट यहाँ, गुर्जर प्रदेश में आईं थीं|

आठों सिद्धि, नवों निधि को भी, अपने ही साथ में लाईं थीं ||

वर्ष 163 तक श्री सम्पन्न , पूर्ण गुजरात रहा |

उसकी महिमा को सदा-सदा, संसार का हर जन गात रहा ||

आज वही है  कार्तिक पूर्णिमा, और वह ही चन्द्र प्रकाश है |

क्या आज औदीच्य बन्धुओं को, आत्म चिन्तन का अवकाश  है  ? ||   

डॉ.ओ.पी.व्यास 

 म.प्र 4/11 / 2017 शनिवार





भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद