विद्या से आती विनय, विनय बनाती पात्र |
पात्र योग्य जब बनोगे, आयें लक्ष्मी मात्र ||[मातर]
आये लक्ष्मी मात, तभी तुम धर्म करोगे |
धर्म करोगे तब ही तो, सुख, सम्रद्धि वरोगे ||
कह कवि "ओ.पी.व्यास", छोड़ कर सभी अविद्या |
अति श्रम कर,तुम प्राप्त,करो सारी ही विद्या ||
{ हिंदी काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास }
5/ 8/ 2017 शनिवार