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5 अग॰ 2017

[278 ] विद्या से आती विनय , विनय बनाती पात्र | पात्र योग्य जब बनोगे ,आयें लक्ष्मी मात्र ||...डॉ.ओ.पी.व्यास



संस्कृत के सुप्रसिद्ध श्लोक ....विद्या ददाति विनयम का
विद्या से आती विनय, विनय बनाती पात्र |
पात्र योग्य जब बनोगे, आयें लक्ष्मी मात्र ||[मातर]
आये लक्ष्मी मात, तभी तुम धर्म करोगे | 
धर्म करोगे तब ही तो, सुख, सम्रद्धि  वरोगे ||
कह कवि "ओ.पी.व्यास", छोड़ कर सभी अविद्या |
अति श्रम कर,तुम प्राप्त,करो सारी ही विद्या ||
{ हिंदी काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास }
5/ 8/ 2017 शनिवार

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद