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6 अग॰ 2017

[ 279 ] सविता की शुचि ...जिसका मण्डल है प्रकाश का देने वाला | जो अनादि, तेजस्वी देता रत्न प्रभा ला ||...डॉ.ओ.पी.व्यास



यन्मंमण्डलं दीप्ति करमविशालं .... काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास 
सविता की शुचि [अग्नि की पवित्रता ]
[ 1 ]
जिसका मण्डल है प्रकाश का देने वाला |
जो अनादि तेजस्वी देता रत्न प्रभा ला ||
जो दारिद्र्य और दुःख के है क्षय का कारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
[ २ ]
जिसका मण्डल पूजित है , सब देव गणों से |
मानव मुक्ति प्रदाता , स्तुत विप्र जनों से ||
नमो देव , हे भर्ग [सूर्य ]आपका जगत प्रसारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
[ 3 ]
जिसका मण्डल ज्ञान घनत्व को पूर्ण जानता |
जो त्रिलोक में पूजित ,जग जिसे त्रिगुण मानता ||
जो समस्त तेजोमय , दिव्य रूप , जग पारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
[ 4 ]
जिसका मण्डल गूढ़ मति , को करे प्रबोधन |
धर्म वृद्धि को ,जो करता ,रहता है जन जन ||
सर्व पाप क्षय होते , होता कष्ट निवारण |
वरण योग्य ,उस सविता की शुचि, कर लें धारण ||
[ 5 ] 
जिसका मण्डल ,व्याधि विनाशक , कुशल दक्ष है |
ऋग , यजु , साम ,में जिसका गायन ही प्रत्यक्ष है ||
जो भू, भुव ,स्व ,सब , लोक , सभी का, करे प्रकाशन |
वरण योग्य, उस सविता की , शुचि ,कर लें धारण ||
[ 6 ] 
जिसका मण्डल वेद ,वेदज्ञ ,सभी जन कहते |
जिसका गायन सिद्ध ,संघ ,और चारण करते ||
योग युक्त योगी और संघ करें उच्चारण |
वरण योग्य ,उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
[ 7 ] 
जिसके मण्डल का, पूजन हर जन है करता |
मृत्यु लोक को जो मण्डल, ज्योति से भरता ||
जो अनादि और काल रूप , है काल नसावन |
वरण योग्य, उस सविता ,की शुचि कर लें धारण ||
[ 8 ] 
जिसका मण्डल , विष्णु और ब्रह्मा स्वरूप है |
जो है पाप हर , अक्षर , जन ,जन को अनूप है ||
काल, कल्प क्षय ,का कारण , पर पूर्ण अकारण |
वरण योग्य ,उस सविता की, शुचि ,कर लें धारण ||
[ 9 ] 
जिस मण्डल के द्वारा, विश्व का स्रजन, निसंशय |
जो मण्डल उत्पति ,रक्षा ,और करता, है लय ||
अखिल विश्व का ,लय ,होना जिसमें , निर्धारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि ,कर लें धारण ||
[ 10 ] 
जिसका मण्डल,सर्व गति वाले, विष्णो हैं |
परम धाम, आत्मा का , शुद्ध तत्व दोनों हैं ||
योग के पथ से ,सूक्ष्म भेद,जो करे निवारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
[ 11 ]
जिसके मण्डल,का वर्णन,करते हैं ब्रह्मविद् |
जिसके मण्डल, का वर्णन,करते हैं वेदविद् ||
गायन करते ,जिसका ,सिद्ध ,संघ और चारण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण||
[ 12 ] 
जिसके मण्डल का,वर्णन, करते हैं वेदविद् |
जिस पथ का अनुसरण करें, योगी जन और सिद्ध||
जो सब का है वेद , दिव्य, वह नमो नारायण |
वरण योग्य उस सविता की शुचि कर लें धारण ||
ॐ गायत्री माता की जय |

काव्यानुवाद डॉ.ओ.पी.व्यास नई सड़क गुना म.प्र. भारत 
[नोट ...यह रचना गायत्री शक्ति पीठ गुना म.प्र . की स्मारिका में प्रकाशित हो चुकी है ]  

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