बार बार ये प्रश्न हमारे दिल में आते हैं|
यहाँ वहां हर जगह तो ये रावण दिखलाते हैं|
बार बार कटते विकार सिर,फिर जुड़ जाते हैं||
बूढा ब्राह्मण बन के बाबा कथा सुनाता है|
सत्य देव शिव का,सच्चा वह रूप दिखाता है||
झूम झूम के मधुबन में,हर कोई गाता है|
बाबा है,अव्यक्त,व्यक्त में आज भी आता है||
{ब्रह्मा कुमारी आश्रम ज्ञान मुरली आधारित चिन्तन परक रचना }बी.के.डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र. 9/6/ 2017शुक्रवार
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