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25 दिस॰ 2016

[ 104 ] लाभ कौन से जगत में , आये आपके हाथ | यदि तुमने काटा समय , नहीं गुणवान के साथ ||////

श्लोक क्र . [ 104 ]...भर्तृहरि नीति शतक
काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास[ 104 ]...
लाभ कौन से जगत में आये आपके हाथ|
यदि तुमने काटा समय नहीं गुणवान के साथ||
और असुखकर दुःख तुम हो, क्या क्या ढोते आये?
मूर्ख प्राज्ञेतरों संग, जो, इतने दिवस बिताये||
रोज रोज ही व्यर्थ की हानि रहे उठाते|
मूल्य वान कर समय नष्ट, अब आंसू बैठ बहाते||
क्यों नहीं प्राप्त निपुणता करते, धर्म तत्व को सीख|
व्यर्थ ही याचक बन कर मांगो, पूर्ण विश्व से भीख||
उठो, बनो अब शूर जीत कर, अपनी इन्द्रिय काम|
कौन तुम्हारी प्रियतमा हो, पतिव्रता हो वाम||
असली धन क्या?  है इस जग में, बस केवल एक विद्या|
कहीं भटकना कभी पड़े ना, इससे बड़ा है सुख क्या? [ 104 ]
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद