बहुत किए हों जिनने पूर्व
जन्म में पुण्य|
नगर बनें उनको जंगल भी, पुरुष हैं ऐसे धन्य||
और वहीं जंगल में उनकी राजधानी हो जाती|
वहां नागरिक सज्जन होते, बढ़ती बहुत है ख्याति||
धन रत्नों से वसुधा भरती, विपुल सम्पदा आती|
प्रजा वहां की सुख से रहती, राजा का गुण गाती ||
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