भर्तृहरि नीति शतक ..श्लोक क्र.[ 98 ]...
काव्यानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास
वन में, रण में,शत्रु मध्य में, जल में और अग्नि में तप्त |
महा सिंधु में ,महान गिरि पर, असावधान हों, होंय प्रसुप्त||
संकट काल कहीं हो कैंसा, रक्षा करें हमारे कर्म|
पूर्व जन्म में कर्म किये शुभ, विद्वद जन यह समझें मर्म|| [ 98 ]
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