पृष्ठ

28 नव॰ 2016

[97 ]आकृति से फल होय नहीं ,ना कुल , शील से होय |विद्या , भाव ,स्वभाव और सेवा ,वृथा,व्यर्थ सब कोय ||...


भर्तृहरि नीति शतक - श्लोक क्र.[97 ]

आकृति से फल होय नहीं, ना कुल, शील से होय|
विद्या, भाव, स्वभाव और सेवा, वृथा, व्यर्थ सब कोय||
पूर्व जन्म कृत तप से सिंचित, आते काम हैं कर्म|
वृक्ष समान कर्म फल देते, समझो यह है मर्म|| 


श्लोक क्र.[ 97 ]
काव्यानुवाद ..डॉ.ओ.पी.व्यास

............................................................................

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद