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10 सित॰ 2016

१४७ श्लोक क्र. ११ ....जल से अग्नि , धूप छातें से ,अंकुश से गज राज | गदहा , बैल दण्ड से ,औषधि करे रोग पर काज ||....

१४७   श्लोक क्र.११ ...
११ 

जल से अग्नि , धूप  छातें से , अंकुश से  गज राज |
                         गदहा , बैल  दण्ड  से ,औषधि करे  रोग पर काज ||
विष का विविध  मन्त्र, तन्त्रों  से,,  होता सदा निवारण |
                       
नहीं , मूर्खता  की  औषधि ,मिटे रोग ,ना कारण  || [ ११ ]


भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद