[ १९ ]
उबटन और स्नान ना सोहे ,
ना ही केश श्रंगार |
बाज़ूबन्द ना शोभते ,
ना मुक्ता के हार ||
पुष्पों से शोभा नहीं ,
यदि वाणी ,नहीं प्यार |
अलंकार सब व्यर्थ हैं ,
नहीं हैं यदि संस्कार ||
उबटन और स्नान ना सोहे ,
ना ही केश श्रंगार |
बाज़ूबन्द ना शोभते ,
ना मुक्ता के हार ||
पुष्पों से शोभा नहीं ,
यदि वाणी ,नहीं प्यार |
अलंकार सब व्यर्थ हैं ,
नहीं हैं यदि संस्कार ||