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वज्र चलाया इन्द्र ने ,
तो भीषण निकली ज्वाल |
कटे पंख मैनाक के ,
बुरा हो गया हाल ||
पर यह तो अच्छा ना किया ,
जब पिता पे संकट आया |
इन्द्र छुप गये सागर भीतर ,
ख़ुद की बचाने काया ||
[ ३६ ]
36363633636363636363636363636336
३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६३६
वज्र चलाया इन्द्र ने ,
तो भीषण निकली ज्वाल |
कटे पंख मैनाक के ,
बुरा हो गया हाल ||
पर यह तो अच्छा ना किया ,
जब पिता पे संकट आया |
इन्द्र छुप गये सागर भीतर ,
ख़ुद की बचाने काया ||
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