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शेष नाग चौदह भुवन ,
फन पर लीन्हें धार |
शेष नाग जिन पीठ पर ,
वे कच्छप के अवतार ||
और कच्छप को गोद में ,
धारे सहज ही सागर |
महा चरित्र महा पुरुषों के ,
समझ सकें ना नागर ||
[ 35 ]
३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३३
55555555555555555555555555
शेष नाग चौदह भुवन ,
फन पर लीन्हें धार |
शेष नाग जिन पीठ पर ,
वे कच्छप के अवतार ||
और कच्छप को गोद में ,
धारे सहज ही सागर |
महा चरित्र महा पुरुषों के ,
समझ सकें ना नागर ||
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