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[ 5 / 6 / 2016 रवि वार ]
[ डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र .]
सब हम से कुछ आस करें |
जो भी घर में वास करें ||
जैंसे चिड़ियाँ आती हैं |
चीं चीं चीं चिल्लातीं हैं ||
वे भी मानो कहतीं हैं |
हम भी यहीं पर रहतीं हैं |
वे भी हम से आस करें |
हम भी यहीं पर वास करें ||
उनको रोटी चूर धरें |
पानी कटोरा पूर भरें ||
गाय भी हम से कहतीं हैं |
हम भी पास में रहतीं हैं ||
जो मिल जाए खातीं हैं |
दुखड़ा नहीं सुनातीं हैं ll
वह भी हम से आस करें |
उनको खाने घास धरें ||
पहली रोटी उसको दें l
उससे केवल यह कह दें ll
हें माता , तू गौ माता है |
तेरा हमारा नाता हैं ||
कुत्ता साथ ही रहता है |
वह हमसे कुछ कहता है ||
घर के चौकी दार हैं हम |
पक्के पहरे दार हैं हम ||
आख़िरी रोटी ही दे दो |
कुछ तो खाने को दे दो ||
वह भी पूँछ हिलाता है |
आस पास वह आता है ||
जो धर्म राज युधिष्ठिर थे |
कुछ कह कर वे गुजरे थे ||
कुत्ता धर्म ही है भाई |
यह सब बातें समझाईं ||
बिल्ली मौसी ख़ास है |
वह भी हमारे पास है ||
दूध और रोटी उसे भी दो |
उसकी दुआएं भी ले लो ||
चूहों से रक्षा करती |
वह भी हम से यह कहती ||
फाटक सदा लगाओ तुम |
घर का शील बचाओ तुम ||
वरना चोर घुस जाएंगे |
सब बटोर ले जायेंगे ||
मैं आऊँ [ म्याऊँ ] वह कहती है |
सावधान वह करती है ||
वह ज्योतिषी है पक्की |
जब भी उलटी ग्रह चक्की ||
रास्ते को वह काटती है |
हम सब को वह डाटती है ||
मत जा अभी तो खतरा है |
कहता जनम का पतरा है ||
थोड़ा सा पीले पानी |
थोड़ी तू सुधार वाणी ||
थोड़ा हरि सुमिरण कर ले |
थोड़ी चाल बदल कर ले ||
समझो नहीं निराश्रित हैं ||
उनको पहिले खाने दो |
फिर ख़ुद का भोजन आने दो ||
सब की दुआओं को ले लो |
फिर ना कभी तुम दुःख झेलो ||
सब ही हम से आस करें |
जो भी घर में वास करें ||
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