[ 13 3 ]
13 /6 / 2016 शुक्र वार
अखण्ड हवन
[ डॉ. ओ. पी .व्यास गुना म.प्र. ]
[ २ ]
एक अखण्ड हवन , जारी है |
ना जाने किसकी बारी है ||
इसमें होमीँ कई सभ्यता ,
ना जाने किसकी बारी है ||
माया , मिस्र और वो रोमा [ रोमन ] ,
गये सभी बारी बारी हैं ||
सिंधु घाटी की बड़ी सभ्यता ,
गई , रही ,सब पर भारी है ||
कहां गये वे सभी लुटेरे ,
कहां रहे वे व्यापारी हैं ||
पहले के वे लोग थे कैंसे ?,
कहां गये वे नर नारी हैं ||
संभल संभलकर चलो मार्ग यह ,
कण्टक पूर्ण लगीं आरी हैं ||
" व्यास " रहेंगे वह ही ज़िंदा ,
रक्षक जिनके त्रिपुरारी हैं ||
2222222222222222222222222222222222222222222
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अखण्ड हवन
[ डॉ. ओ. पी .व्यास गुना म.प्र. ]
[ २ ]
एक अखण्ड हवन , जारी है |
ना जाने किसकी बारी है ||
इसमें होमीँ कई सभ्यता ,
ना जाने किसकी बारी है ||
माया , मिस्र और वो रोमा [ रोमन ] ,
गये सभी बारी बारी हैं ||
सिंधु घाटी की बड़ी सभ्यता ,
गई , रही ,सब पर भारी है ||
कहां गये वे सभी लुटेरे ,
कहां रहे वे व्यापारी हैं ||
पहले के वे लोग थे कैंसे ?,
कहां गये वे नर नारी हैं ||
संभल संभलकर चलो मार्ग यह ,
कण्टक पूर्ण लगीं आरी हैं ||
" व्यास " रहेंगे वह ही ज़िंदा ,
रक्षक जिनके त्रिपुरारी हैं ||
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