[ यह रचना ब्रह्मा कुमारी आश्रम की मुरली पर आधारित है ]
विचार सागर को मंथन करो ।
रात दिन आत्म चिन्तन करो।।
ज्ञान के रत्न निकलेंगे कई ,
सब को बांटा यही धन करो। 1।
बगिया जीवन महक जायेगी ,
लेप तुम ज्ञान चन्दन करो। २ ।
निडरता ,धैर्यता आएगी ,
पवित्र अपना ये जीवन करो । ३ ।
मधुरता , नम्रता गुण बढ़े ,
हर्षित मुखता से तन मन करो।४ ।
देवताओं के कुल के हो तुम ,
देव बनने का ही प्रण करो। ५।
प्राप्त होगा राज्य विश्व का ,
बांचा कथा सत्य नारायण करो । ६ ।
विचार सागर को मंथन करो।
रात दिन आत्म चिन्तन करो।
डॉ ,ओ,पी .व्यास गुना म.प्र. 9 /7//2016