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29 जुल॰ 2015

ए पी जे अब्दुल कलाम जी स्वीकारें मेरा सलाम जी

यह रचना जब वे  राष्ट्र पति थे  तब की  है


ए पी जे अब्दुल कलाम जी, स्वीकारें मेरा सलाम जी.

आये वहां से  जहाँ गये राम जी, 
बहुत रहा है आपका नाम जी| 

जब सुलझा सकते बालों को, 

सुलझाओ बिगड़े हालों को|
उगलाओ निगले मालों को, 

ऐंसी कोई मिसाइल बनाओ|


एँसी आप मिसाल को लाओ, 


बोये गये बबूल वृक्षों में,
 जल्दी लगने लगें आम जी| 

ए पी जे अब्दुल कलाम जी,
     स्वीकारें मेरा सलाम जी| 
                                                                   डॉ,ओ.पी.व्यास 

                                                                           30 7 2015 गरुवार 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद