यह रचना जब वे राष्ट्र पति थे तब की है
ए पी जे अब्दुल कलाम जी, स्वीकारें मेरा सलाम जी.
आये वहां से जहाँ गये राम जी,
बहुत रहा है आपका नाम जी|
जब सुलझा सकते बालों को,
सुलझाओ बिगड़े हालों को|
उगलाओ निगले मालों को,
ऐंसी कोई मिसाइल बनाओ|
एँसी आप मिसाल को लाओ,
बोये गये बबूल वृक्षों में,
जल्दी लगने लगें आम जी|
ए पी जे अब्दुल कलाम जी,
स्वीकारें मेरा सलाम जी|
डॉ,ओ.पी.व्यास
30 7 2015 गरुवार